( रुचि रुचि भोग लगाओ मेरी मैया भजन लिरिक्स )
रूचि रूचि भोग लगाओ मेरी मैया
प्रेम से भोग लगाओ मेरी मैया
पेड़ा बताशे का भोग हमारा
हलवा चना का भोग हमारा
रूचि......||
आप भी खाओ नौ बहनों को खिलाओ
शेष बचे बतवयव मेरी मैया
रूचि......||
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण
चार दिशा से आओ मेरी मैया
रूचि......||
जो तेरे इस भोग को पावें
वो तेरा बन जाये मेरी मैया
रूचि......||
ऐसा भोग लगाओ मेरी मैया
सब अमृत हो जाये मेरी मैया
रूचि......||