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श्री राम अमृतवाणी लिरिक्स हिंदी (Shri Ram Amritwani Lyrics) - By Anuradha Paudwal | Ram Amritwani - Bhaktilife24

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( श्री राम अमृतवाणी लिरिक्स हिंदी )


रामामृत पद पावन वाणी

राम नाम धुन सुधा सामानी

पावन पाथ राम गन ग्राम

राम राम जप राम ही राम । 1 ।


परम सत्य परम विज्ञान

ज्योति स्वरूप राम भगवान

परमानंद सर्वशक्तिमान

राम परम है राम महान । 2 ।


अमृत वाणी नाम उच्चाहरान

राम राम सुख सिद्धिकारण

अमृतवानी अमृत श्री नाम

राम राम मुद मंगल धाम । 3 ।


अमृतरूप राम-गुण गान

अमृत-कथन राम व्याख्यान

अमृत-वचन राम की चर्चा

सुधा सम गीत राम की अर्चा । 4 ।


अमृत मनन राम का जाप

राम राम प्रभु राम अलाप

अमृत चिंतन राम का ध्यान

राम शब्द में सूचि समाधन । 5 ।


अमृत रसना वही कहवा

राम-राम जहां नाम सुहावे

अमृत कर्म नाम कमानी

राम-राम परम सुखदायी । 6 ।


अमृत राम-नाम जो ही ध्यावे

अमृत पद सो ही जन पावे

राम-नाम अमृत-रास सार

देता परम आनन्द अपार । 7 ।


राम-राम जप हे माणा

अमृत वाणी मान

राम-नाम मे राम को

सदा विराजित जान । 8 ।


राम-नाम मद-मंगलकारी

विध्ण हरे सब पातक हारी

राम नाम शुभ-शकुण महान

स्वस्ती शांति शिवकर कल्याण । 9 ।


राम-राम श्री राम-विचार

मानी उत्तम मंगलाचार

राम-राम मन मुख से गाना

मानो मधुर मनोरथ पाना । 10 ।


राम-नाम जो जन मन लावे

उसमे शुभ सभी बस जावे

जहां हो राम-नाम धुन-नाद

भागे वहा से विषम विषाद । 11 ।


राम-नाम मन-तप्त बुझावे

सुधा रस सीच शांति ले आवे

राम-राम जपिये कर भाव

सुविधा सुविध बने बनाव । 12 ।


राम-नाम सिमरो सदा

अतिशय मंगल मूल

विषम विकट संकट हरन

कारक सब अनुकूल । 13 ।


जपना राम-राम है सुकृत

राम-नाम है नाशक दुष्कृत

सिमरे राम-राम ही जो जन

उसका हो शुचित्र तन-मन । 14 ।


जिसमे राम-नाम शुभ जागे

उस के पाप-ताप सब भागे

मन से राम-नाम जो उच्चारे

उस के भागे भ्रम भय सारे । 15 ।


जिस मन बस जाए राम सुनाम

होवे वह जन पूर्णकाम

चित में राम-राम जो सिमरे

निश्चय भव सागर से तारे । 16 ।


राम-सिमरन होव साहै

राम-सिमरन है सुखदायी

राम सिमरन सब से ऊंचा

राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा । 17 ।


राम-राम हे सिमर मन

राम-राम श्री राम

राम-राम श्री राम-भज

राम-राम हरि-नाम । 18 ।


मात पिता बांधव सूत दारा

धन जन साजन सखा प्यारा

अंत काल दे सके ना सहारा

राम-नाम तेरा तारण हारा । 19 ।


सिमरन राम-नाम है संगी

सखा स्नेही सुहिर्द शुभ अंगी

यूग-यूग का है राम सहेला

राम-भगत नहीं रहे अकेला । 20 ।


निर्जन वन विपद हो घोर

निबर्ध निशा तम सब ओर

जोत जब राम नाम की जागे

संकट सर्व सहज से भागे । 21 ।


बाधा बड़ी विषम जब आवे

वैर विरोध विघ्न बढ़ जावे

राम नाम जपिये सुख दाता

सच्चा साथी जो हितकर त्राता । 22 ।


मन जब धैर्य को नहीं पावे

कुचिन्ता चित्त को चूर बनावे

राम नाम जपे चिंता चूरक

चिंतामणि चित्त चिंतन पूरक । 23 ।


शोक सागर हो उमड़ा आता

अति दुःख में मन घबराता

भजिये राम-राम बहु बार

जन का करता बेड़ा पार । 24 ।


करधी घरद्धि कठिनतर काल

कष्ट कठोर हो क्लेश कराल

राम-राम जपिये प्रतिपाल

सुख दाता प्रभु दीनदयाल । 25 ।


घटना घोर घटे जिस बेर

दुर्जन दुखरदे लेवेँ घेर

जपिये राम-नाम बिन देर

रखिये राम-राम शुभ टेर । 26 ।


राम-नाम हो सदा सहायक

राम-नाम सर्व सुखदायक

राम-राम प्रभु राम की टेक

शरण शान्ति आश्रय है एक । 27 ।


पूँजी राम-नाम की पाइये

पाथेय साथ नाम ले जाइये

नाशे जन्म मरण का खटका

रहे राम भक्त नहीं अटका । 28 ।


राम-राम श्री राम है

तीन लोक का नाथ

परम-पुरुष पावन प्रभु

सदा का संगी साथ । 29 ।


यज्ञ तप ध्यान योग ही त्याग

वन कुटी वास अति वैराग

राम-नाम बिना नीरस फोक

राम-राम जप तरिये लोक । 30 ।


राम-जाप सब संयम साधन

राम-जाप है कर्म आराधन

राम-जाप है परम-अभ्यास

सिम्रो राम-नाम सुख-रास । 31 ।


राम-जाप कही ऊंची करनी

बाधा विघ्न बहु दुःख हरनी

राम-राम महा-मंत्र जपना

है सुव्रत नेम तप तपना । 32 ।


राम-जाप है सरल समाधि

हरे सब आधी व्याधि उपाधि

रिद्धि-सिद्धि और नव-निधान

डाटा राम है सब सुख-खान । 33 ।


राम-राम चिन्तन सुविचार

राम-राम जप निश्चय धार

राम-राम श्री राम-ध्याना

है परम-पद अमृत पाना । 34 ।


राम-राम श्री राम हरी

सहज पराम है योग

राम-राम श्री राम जप

देता अमृत-भोग । 35 ।


नाम चिंतामणि रत्न अमोल

राम-नाम महिमा अनमोल

अतुल प्रभाव अति-प्रताप

राम-नाम कहा तारक जाप । 36 ।


बीज अक्षर महा-शक्ति-कोष

राम-राम जप शुभ-संतोष

राम-राम श्री राम-राम मंत्र

तंत्र बीज परात्पर यन्त्र । 37 ।


बीजाक्षर पद पद्मा प्रकाशे

राम-राम जप दोष विनाशे

कुण्डलिनी बोधे सुष्मना खोले

राम मंत्र अमृत रस घोले । 38 ।


उपजे नाद सहज बहु-भांत

अजपा जाप भीतर हो शांत

राम-राम पद शक्ति जगावे

राम-राम धुन जभी रमावे । 39 ।


राम-नाम जब जगे अभंग

चेतन-भाव जगे सुख संग

ग्रंथि अविद्या टूटे भारी

राम-लीला की खिले फुलवारी । 40 ।


पतित-पावन परम-पाठ

राम-राम जप योग

सफल सिद्धि कर साधना

राम-नाम अनुराग । 41 ।


तीन लोक का समझीये सार

राम-नाम सब ही सुखकार

राम-नाम की बहुत बरदाई

वेद पुराण मुनि जन गाई । 42 ।


यति सती साधू संत सयाने

राम नाम निष्-दिन बखाने

तापस योगी सिद्ध ऋषिवर

जाप्ते राम-नाम सब सुखकर । 43 ।


भावना भक्ति भरे भजनीक

भजते राम-नाम रमणीक

भजते भक्त भाव-भरपूर

भ्रम-भय भेद-भाव से दूर । 44 ।


पूर्ण पंडित पुरुष-प्रधान

पावन-परम पाठ ही मान

करते राम-राम जप-ध्यान

सुनते राम अनहद तान । 45 ।


इस में सुरति सुर रमाते

राम राम स्वर साध समाते

देव देवीगन दैव विधाता

राम-राम भजते गनत्राता । 46 ।


राम राम सुगुणी जन गाते

स्वर-संगीत से राम रिझाते

कीर्तन-कथा करते विद्वान्

सार सरस संग साधनवान । 47 ।


मोहक मंत्र अति मधुर

राम-राम जप ध्यान

होता तीनो लोक में

राम-नाम गन-गान । 48 ।


मिथ्या मन-कल्पित मत-जाल

मिथ्या है मोह-कुमद-बैताल

मिथ्या मन-मुखिआ मनोराज

सच्चा है राम-राम जप काज । 49 ।


मिथ्या है वाद-विवाद विरोध

मिथ्या है वैर निंदा हाथ क्रोध

मिथ्या द्रोह दुर्गुण दुःख कहाँ

राम-नाम जप सत्य निधान । 50 ।


सत्य-मूलक है रचना साड़ी

सर्व-सत्य प्रभु-राम पसारि

बीज से तरु मक्करधी से तार

हुआ त्यों राम से जग विस्तार । 51 ।


विश्व-वृक्ष का राम है मूल

उस को तू प्राणी कभी न भूल

सां-साँस से सीमार सुजान

राम-राम प्रभु-राम महान । 52 ।


लाया उत्पत्ति पालना-रूप

शक्ति-चेतना आनंद-स्वरुप

आदि अन्त और मध्य है राम

अशरण-शरण है राम-विश्राम । 53 ।


राम-राम जप भाव से

मेरे अपने आप

परम-पुरुष पालक-प्रभु

हर्ता पाप त्रिताप । 54 ।


राम-नाम बिना वृथा विहार

धन-धान्य सुख-भोग पसार

वृथा है सब सम्पद सम्मान

होव तँ यथा रहित प्रान । 55 ।


नाम बिना सब नीरस स्वाद

ज्योँ हो स्वर बिना राग विषाद

नाम बिना नहीं साजे सिंगार

राम-नाम है सब रस सार । 56 ।


जगत का जीवन जानो राम

जग की ज्योति जाज्वल्यमान

राम-नाम बिना मोहिनी-माया

जीवन-हीं यथा तन-छाया । 57 ।


सूना समझीये सब संसार

जहां नहीं राम-नाम संचार

सूना जानिये ज्ञान-विवेक

जिस में राम-नाम नहीं एक । 58 ।


सूने ग्रन्थ पंथ मत पोथे

बने जो राम-नाम बिन थोथी

राम-नाम बिन वाद-विचार

भारी भ्रम का करे प्रचार । 59 ।


राम-नाम दीपक बिना

जान-मन में अंधेर

रहे इस से हे मम-मन

नाम सुमाला फेर । 60 ।


राम-राम भज कर श्री राम

करिये नित्य ही उत्तम काम

जितने कर्त्तव्य कर्म कलाप

करिये राम-राम कर जाप । 61 ।


करिये गमनागम के काल

राम-जाप जो कर्ता निहाल

सोते जागते सब दिन याम

जपिये राम-राम अभिराम । 62 ।


जाप्ते राम-नाम महा माला

लगता नरक-द्वार पै टाला

जाप्ते राम-राम जप पाठ

जलते कर्म बंध यथा काठ । 63 ।


तान जब राम-नाम की तूती

भांडा-भरा अभाग्य भया फूटे

मनका है राम-नाम का ऐसा

चिंता-मणि पारस-मणि जैसा । 64 ।


राम-नाम सुधा-रस सागर

राम-नाम ज्ञान गुण-अगर

राम-नाम श्री राम-महाराज

भाव-सिंधु में है अतुल-जहाज । 65 ।


राम-नाम सब तीर्थ-स्थान

राम-राम जप परम-स्नान

धो कर पाप-ताप सब धुल

कर दे भया-भ्रम को उन्मूल । 66 ।


राम जाप रवि-तेज सामान

महा-मोह-ताम हरे अज्ञान

राम जाप दे आनंद महान

मिले उसे जिसे दे भगवान् । 67 ।


राम-नाम को सिमरिये

राम-राम एक तार

परम-पाठ पावन-परम

पतित अधम दे तार । 68 ।


माँगूँ मैं राम-कृपा दिन रात

राम-कृपा हरे सब उत्पात

राम-कृपा लेवे अंट सँभाल

राम-प्रभु है जन प्रतिपाल । 69 ।


राम-कृपा है उच्तर-योग

राम-कृपा है शुभ संयोग

राम-कृपा सब साधन-मर्म

राम-कृपा संयम सत्य धर्म । 70 ।


राम-नाम को मन में बसाना

सुपथ राम-कृपा का है पाना

मन में राम-धुन जब फिर

राम-कृपा तब ही अवतार । 71 ।


रहूँ मैं नाम में हो कर लीं

जैसे जल में हो मीन अड़ीं

राम-कृपा भरपूर मैं पाऊँ

परम प्रभु को भीतर लाऊँ । 72 ।


भक्ति-भाव से भक्त सुजान

भजते राम-कृपा का निधान

राम-कृपा उस जान में आवे

जिस में आप ही राम बसावे । 73 ।


कृपा प्रसाद है राम की देनी

काल-व्याल जंजाल हर लेनी

कृपा-प्रसाद सुधा-सुख-स्वाद

राम-नाम दे रहित विवाद । 74 ।


प्रभु-पसाद शिव-शान्ति-दाता

ब्रह्म-धाम में आप पहुँचाता

प्रभु-प्रसाद पावे वह प्राणी

राम-राम जापे अमृत-वाणी । 75 ।


औषध राम-नाम की खाईये

मृत्यु जन्म के रोग मिटाइये

राम-नाम अमृत रस-पान

देता अमल अचल निर्वाण । 76 ।


राम-राम धुन गूँज से

भाव-भया जाते भाग

राम-नाम धुन ध्यान से

सब शुभ जाते जाग । 77 ।


माँगूँ मैं राम-नाम महादान

करता निर्धन का कल्याण

देव-द्वार पर जनम का भूखा

भक्ति प्रेम अनुराग से रूखा । 78 ।


पर हूँ तेरा-यह लिए टेर

चरण पारधे की राखियो मेर

अपना आप विरद-विचार

दीजिये भगवन! नाम प्यार । 79 ।


राम-नाम ने वे भी तारे

जो थे अधर्मी-अधम हत्यारे

कपटी-कुटिल-कुकर्मी अनेक

तर गए राम-नाम ले एक । 80 ।


तर गए धृति-धारणा हीं

धर्म-कर्म में जन अति दीन

राम-राम श्री राम-जप जाप

हुए अतुल-विमल-अपाप । 81 ।


राम-नाम मन मुख में बोले

राम-नाम भीतर पट खोले

राम-नाम से कमल-विकास

होवें सब साधन सुख-रास । 82 ।


राम-नाम घट भीतर बसे

सांस-साँस नस-नस से रसे

सपने में भी न बिसरे नाम

राम-राम श्री राम-राम-राम । 83 ।


राम-नाम के मेल से

साध जाते सब-काम

देव-देव देवी यादा

दान महा-सुख-धाम । 84 ।


अहो मैं राम-नाम धन पाया

कान में राम-नाम जब आया

मुख से राम-नाम जब गाया

मन से राम-नाम जब ध्याया । 85 ।


पा कर राम-नाम धन-राशि

घोर-अविद्या विपद विनाशी

बर्धा जब राम प्रेम का पूर

संकट-संशय हो गए दूर । 86 ।


राम-नाम जो जापे एक बेर

उस के भीतर कोष-कुबेर

दीं-दुखिया-दरिद्र-कंगाल

राम-राम जप होव निहाल । 87 ।


हृदय राम-नाम से भरिये

संचय राम-नाम दान करिए

घाट में नाम मूर्ती धरिये

पूजा अंतर्मुख हो करिये । 88 ।


आँखें मूँद के सुनिये सितार

राम-राम सुमधुर झनकार

उस में मन का मेल मिलाओ

राम-राम सुर में ही समाओ । 89 ।


जपूँ मैं राम-राम प्रभु राम

ध्याऊँ मैं राम-राम हरे राम

सिमरूँ मैं राम-राम प्रभु राम

गाऊं मैं राम-राम श्री राम । 90 ।


अमृतवाणी का नित्य गाना

राम-राम मन बीच रमाणा

देता संकट-विपद निवार

करता शुभ श्री मंगलाचार । 91 ।


राम-नाम जप पाठ से

हो अमृत संचार

राम-धाम में प्रीति हो

सुगुण-गैन का विस्तार । 92 ।


तारक मंत्र राम है

जिस का सुफल अपार

इस मंत्र के जाप से

निश्चय बने निस्तार । 93 ।


बोलो राम बोलो राम

बोलो राम राम राम।






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